रामचरित मानस

210 भाग

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* करि न जाइ सर मज्जन पाना। फिरि आवइ समेत अभिमाना। जौं बहोरि कोउ पूछन आवा। सर निंदा करि ताहि बुझावा॥2॥ भावार्थ:-उससे उस सरोवर में स्नान और उसका जलपान तो किया ...

अध्याय

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