21 भाग
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शाम हो चुकी थी । ज़ोया अपने कमरे में बैठी पढ़ रही थी या यूं कहे की सिर्फ हम्माद से नाराज़गी की वजह से वो मजबूरन किताब खोले बैठी थी नही ...