अनकहे जज्बात.-17

0 भाग

355 बार पढा गया

9 पसंद किया गया

 वो दौर अब ख़त्म हो चुका है जब लोग बिन पूछे जज्बातों को समझ लिया करते थे। अब दस्तूर ये है जहां का आप कहते भी जाओ फिर भी सुनाई नही ...

×