बुलबुल

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विषय:-- स्वैच्छिक  गाल फुला कर बैठी बुलबुल, चहक उठी तो गजल बनेगी! भूली-बिसरी हँसी अधर की, आंँख आज रे सजल बनेगी! सावन भादों के मौसम में, आए दिल के मीत यहां। ...

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