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कविता--खामोशी बहती रहती हो सदा से यूं ही खामोशी से... कलकल की ध्वनि क्या चंद बातें होतीं तुम्हारी? मैं भी यूं ही खड़ा सदियों से... आवागमन रेल का मुझमें कुछ राग ...