166 भाग
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संसार-प्रवेश बड़े भाई ने मुझे पर बड़ी-बड़ी आशायें बाँध रखी थी। उनको पैसे का, कीर्ति का और पद का लोभ बहुत था। उनका दिल बादशाही था। उदारता उन्हें फिजूलखर्ची की हद ...