लेखनी प्रतियोगिता -16-May-2022 प्रभाती

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गीतिका छन्द  २१२२ २१२२ , २१२२ २१२ हो गया है प्रात प्यारे, छोड़ दो तुम सेज को । तम समाहित हो रहा है, अंक भर लो तेज को ।। खिल गये ...

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