सहर्ष स्वीकारा है

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सहर्ष स्वीकारा है / गजानन माधव मुक्तिबोध ज़िन्दगी में जो कुछ है, जो भी है सहर्ष स्वीकारा है; इसलिए कि जो कुछ भी मेरा है वह तुम्हें प्यारा है। गरबीली ग़रीबी ...

अध्याय

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