23 भाग
69 बार पढा गया
2 पसंद किया गया
सहर्ष स्वीकारा है / गजानन माधव मुक्तिबोध ज़िन्दगी में जो कुछ है, जो भी है सहर्ष स्वीकारा है; इसलिए कि जो कुछ भी मेरा है वह तुम्हें प्यारा है। गरबीली ग़रीबी ...