24 भाग
387 बार पढा गया
26 पसंद किया गया
अनुदान दिया है..! मैं मधु से अनभिज्ञ आज भी, जीवन भर विषपान किया है ! फूलों से है अनबन मेरी , शूलों ने सम्मान दिया है ! उलझी टेढ़ी पगडंडी रथ ...