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गर परछाइयां बोल पाती जाने कितना कहर वो ढाती किसके कितने रूप हैं सारे भेद वो बतलाती केवल तुमसे मिलता हूँ बस तुम्हारी बातें करता हूँ ऐसे कहने वालों को इक ...