1 भाग
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विषय:--" चंचल" मैं मिलने आऊं द्वार तुम्हारे,पर जब भी, तुम मीठी चंचल चितवन देना ..! प्रिये,तम अपनापन देना ..! वर्षों से सावन सूखे,नहीं पाए हरे-हरे । वरखा की नन्हीं बूंदों के, ...