सूरदास सफ़रनामा

208 भाग

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ऊधौ,तुम हो अति बड़भागी ऊधौ,तुम हो अति बड़भागी. अपरस रहत सनेह तगा तैं, नाहिन मन अनुरागी. पुरइनि पात रहत जल भीतर,ता रस देह न दागी. ज्यों जल मांह तेल की गागरि,बूँद ...

अध्याय

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