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शिकवा शिकायतें करने का, अब दिल नहीं चाहता रूठने मनाने का भी, दिल नहीं चाहता। देखे थे ख्वाब जिन आंखों ने, उन आंखों में आज सिर्फ नाकामी है, जिसके साथ की ...