मेरा दुश्मन

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सोचा ना था ये दिन आएगा, जब जीवन यूॅ॑ मेरा थर्राएगा, साॅ॑सें अटकेगी हलक़ के अंदर, और स्याह अंधेरा छा जाएगा। दुश्मन शातिर था बहुत ही ज्यादा, था मुझसे भिड़ने का ...

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