ज़िन्दगी

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विषय:-- स्वैच्छिक भला हो जिंदगी का जो तुम्हारी मेहरबानी हुई, अब मैं तुमको याद करूं इतनी मुझे फुर्सत नहीं ! कौन हो ,कहां से गुजरे किस तरह कहानी में, उलट कर ...

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