1 भाग
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विषय:-- स्वैच्छिक आसमान से तारा टूटा। अपना मन बंधन से छूटा।। मुक्त हुए...जीवन भुक्त हुए ..! जीवन- रीत पुरानी है। दुनिया आनी- जानी है ।। रूप मनुज का धारण कर, लिखता ...