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विषय:-- स्वैच्छिक मेरे गीत तुम्हारे आंसू बनकर बिखरेंगे नैना-जल में! भूल न जाना हमको, जानम, जीवन के उन दो पल में! शामें गुजरी साथ तुम्हारे, सपने भी थे मधुर संजोएं। तुम ...