कविताःभाग्य का खेल

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भाग्य का खेल सूरज आग उगलते थकहार कर सो गया था मगर पेट की जलती आग लिए वह जागा था भूख नींद पर हावी थी साफ पानियों पर पहरा लगा था ...

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