1 भाग
236 बार पढा गया
13 पसंद किया गया
कितना कुछ सहती है ! नीर को पीती है ! होठों पर न ओफ़ माथे पर न उसके शिकन ही होती है ! प्रेम की देवी ममता की घनी हिम्मत पर्वत ...