नारी

1 भाग

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कितना कुछ सहती है !  नीर को पीती है  ! होठों पर न ओफ़  माथे पर न उसके  शिकन ही होती है !  प्रेम की देवी  ममता की घनी  हिम्मत पर्वत ...

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