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मुक्तक-- तुम्हारे दिले प्यार में मुझे कोई गुमान ना था ! तुम्हारी नकाबपोशी का मुझे कोई भान न था! कि मैंने किया तन मन से कुर्बानी ,तुम्हारी खातिर, तुम होगे सौदेबाज़, ...