1 भाग
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मुक्तक कहने को निगहबान बने घूम रहे हैं। चालाक बेईमान बने घूम रहे हैं।। करना यकीन सोच समझकर ऐ बेटियों। हैवान भी इंसान बने घूम रहे हैं।। रचनाकार ✍️ भरत सिंह ...