ताज कहाँ से लाऊँ

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हर बार तुम्हारी  बातों का  मैं  जवाब कहाँ से लाऊँ अमावस की काली रातों में मैं आफ़ताब कहाँ से लाऊँ  जाने कितनी सदियां गुजरी हैं जी भरकर सोए हुए  आँखों मे ...

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