सुहाना सफर

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कर रहा वो, सुहाना सफर जा रहा, वापिस अपने घर तिरंगे में, लिपटा हुआ था  बेजान शरीर, वही तेवर चारों तरफ थी चिंगारियां चारों तरफ ही थी चीखें देश के दुश्मन ...

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