जाने कैसा ये इश्क है...? भाग 17

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चलो आज फिर कोई धुन मिलकर बनाते हैं। छेड़ो तुम साज हम तराना गुनगुनाते हैं। कुछ सुर नीचे लगे तो रुक जाए हम, कभी सुर ऊंचे लगे तो झुक जाए हम  ...

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