उपन्यास-गोदान-मुंशी प्रेमचंद

121 भाग

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गोदान मुंशी प्रेम चंद मालती बाहर से तितली है, भीतर से मधुमक्खी। उसके जीवन में हँसी ही हँसी नहीं है, केवल गुड़ खाकर कौन जी सकता है! और जिये भी तो ...

अध्याय

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