मुक्ति विषय

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विषय:-- स्वैचिछक कल थे आशावान, आज  हुए उदास हैं। अजनबी से लग रहे, जो अपने खास हैं।। खोजते है,हम इत्र,कागजों के फूल में। प्यार यहाँ मिल रहा,रास्तों की धूल में।। व्यर्थ ...

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