फरी अपने ख्यालों में खोई हुई बैठी हुई थी, उसका मन अतीत के किनारों में बहता चला जा रहा था। विक्रम की माँ रजनी उसके साथ बैठी हुई थी। विक्रम कमरे ...

अध्याय

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