आधुनिकता-उन्नति, अवनति या पतन

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आओ खिलायें कलियाँ, गुलशन लगे महकने न कोई बहेलिया हो, चिड़ियाँ लगें चहकने।।  नित, नव, नवीन, नूतन, इक भोर हम सजायें रूठे हुए दिलों में, लौ प्रेम की जगायें।।  मैंने है ...

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