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उन्मुक्त विचरते नभ-थल में, अंदाज हैं इनके मतवाले कोमल पर काबिल पंखों से, आकाश को नीचा कर डालें।। है छोटी इनकी परवाज़ें, पर ये जिद्दी न रुकते हैं छोटी-छोटी कोशिश करके, ...