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हे ! राही तेरे उपवन में, पुष्प पल्लवित गायेगा दुःख के संकरे गलियारे में सुख, समृद्धि लाएगा।। नित, नव, नूतन, सृजन करो तुम, सावन रिमझिम बरसेगा तुम मत थकना, चलते रहना, ...