1 भाग
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कविताःनसीब रोटी,कपड़ा,मकान सब नसीब से ही मिलते हैं कर्म अपनी जगह सही पर भाग्य भी होते हैं सब भाग रहे हैं सब दौड़ रहे हैं अपने अपने नसीबों को ढूढ रहे ...