उल्फत-ए-असर

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इश्क की गली में, हर आशिक, आवारा नहीं होता रूह भी है, हर आशिक, जिस्मों का मारा नहीं होता।।  यूँ तो मोहब्बत में, दीवाने, मर-मर के जीते हैं फिर भी आशिकों ...

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