ख्वाबों का शहर-शायद एक ख्वाब

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दिखता नहीं है मुझको मेरा ख्वाबों का शहर मानवता रो रही है देखो नगर-नगर ।। इंसान जी रहा मगर इंसानियत मरी अब मतलबी हैं दिखते रिश्ते सहर-सहर ।। मानव को यहाँ ...

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