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तिरी क़ुदरत की क़ुदरत कौन पा सकता है क्या क़ुदरत तिरे आगे कोई क़ादिर कहा सकता है क्या क़ुदरत तू वो यकता-ए-मुतलक़ है कि यकताई में अब तेरी कोई शिर्क-ए-दुई का ...