कविताःआदर्श

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कविताःआदर्श पगपग पर धरकर ईमान चलें हम सबन साथ तब उतरेगा प्रेम मय आकाश प्रभु बसेरा डालेंगे प्रेम की मुरली बाचेंगे तब सर्वत्र सुख सजेगा आदर्श ग्राम तब बसेगा। **** सीमा..✍️ ...

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