कविता सूर्योदय

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कविता ः सूर्योदय सूर्योदय स्वर्ण सा क्षितिज सजा है हवाएँ महक रहीं खुशबुओं से उदयाचल को चलता सूरज चमक रही धरा सोने सी तमस का हरण करता आदित्य भरता नवश्वास सबमें ...

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