1 भाग
278 बार पढा गया
7 पसंद किया गया
कविता ः सूर्योदय सूर्योदय स्वर्ण सा क्षितिज सजा है हवाएँ महक रहीं खुशबुओं से उदयाचल को चलता सूरज चमक रही धरा सोने सी तमस का हरण करता आदित्य भरता नवश्वास सबमें ...