आज़माने लगे

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वो बिछड़ते वक्त गले लगाने लगे  ना जाने कैसा वो हक जताने लगे हो चुकी थी  बन्द जो कई सदियों से ख्वाब उन आंखों को नए दिखाने लगे ये हसरत थी ...

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