1 भाग
210 बार पढा गया
4 पसंद किया गया
न ले राहों का अब तू नाम। न इन बाहों को अब तू थाम।। भूल बैठा खुशियों की चाह। चला राही क्यों दूजी राह।। सोच मत कहाँ तेरा मुकाम। चला चल ...