राही

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न  ले  राहों  का  अब  तू नाम। न  इन  बाहों  को अब तू थाम।। भूल   बैठा  खुशियों  की  चाह। चला   राही   क्यों   दूजी   राह।। सोच  मत   कहाँ  तेरा  मुकाम। चला चल ...

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