यादे कुछ पल की भाग ---- 3

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दर्द को सोने में दबकर रखा है ! इन आँखो में अश्को को भी छुपाकर रखा है ! कुछ अपने जज्बातों को पन्नो पर उतर कर रखा है ! सर चढ़ ...

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