घूरता रहा आइने में

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यूं ही खड़ा रहा सामने आयने के और घूरता रहा खुद को अजीब बैचेनी से रूह शांत थी, बस दिल ही धड़क रहा था लफ्ज़ एक एक कानों में गूंज रहे ...

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