रंग भरे त्योहार

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बहुत दिन बीत गए  देखे न मौसम बहारो के  सदियों से उठा रही हूँ l बोझ ग़मो के सायों के  एक ना उम्मीद सी कश्ती में  थपेड़े खा रही हूँ वक़्त ...

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