1 भाग
113 बार पढा गया
3 पसंद किया गया
कविता ःबंधन बंधन सा लगने लगा है विवाह का यह रस्म दम घुटने सा लगा है निभाते हुए हर कसम हम तुम एक राह के राही थे यह कारवां भटकने सा ...