चक्कर काट रही ये धरती (हिन्दी ग़ज़ल)

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1.चक्कर  काट  रही  ये  धरती,  ऊपर  ये  आकाश भी है    चलती-फिरती  लाश  यहाँ  पर, टूटा  एक विश्वास भी है।  2. मेरे   मन  की  तन्हाई  में  मरुथल  है,  मधुमास  भी  है ...

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