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ये मत पूछो हम से यारों हम कितने बेगाने हैं! दर-दर की ठोकर खाते हैं तबीअत के मनमाने हैं!! हम से तुम हमदर्दी सीखो दुनिया के ग़म-ख़ाने में, जितने ग़म हैं ...