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मैं चाहते हुए भी कुछ नहीं कर सका हर कोई बज़्म में तेरा तलबगार निकला मैं खुशियां मनाता फ़िर रहा था लेकिन गली कूचों का हर जर्रा तेरा यार निकला मैं ...