1 भाग
28 बार पढा गया
3 पसंद किया गया
रात चुपके से आयी, पता ना चला रोशनी बुझ गयी, अश्क़ जलने लगे कल सुबह फिर सुबह होगी एक और नयी तू मिलेगी कहीं, ख्वाब पलने लगे रोशनी बुझ गयी, अश्क़ ...