लेखनी कहानी -15-May-2024

0 भाग

26 बार पढा गया

4 पसंद किया गया

उठे या के बैठे के दौड़ लगाये सियासत की भाषा समझ ही ना आये विरासत में हमकों मिली ठोकरें हैं गरीबी है दलदल, निकल ही ना पाये आठो पहर की करें ...

×