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*!! घूंघट की ओट!!* ****** छबीली गौरी जरा खोल झीने घूंघट का छोर , तेरे चाँद सलोने मुखड़े से मन होने दे बिभोर! तोरे माथे पर बोर सुनहरी सोहे नयनाभिराम, ललाट ...