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कविता ःचिंगारी ★★★★★★★ बर्बर मनुष्यों ने चिंगारी की खोज कर सभ्यता की नींव रखी थी आज मानव सीमाएं तोड़ इसे दावानल में बदल रहा एक चिंगारी काफी है आग लगाने को ...