कविता ःउमंग

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कविता ः उमंग नया भोर है नया सबेर नई आशाओं के नई उमंग बीत गया जो बीत गया कुछ खट्टा था उनमें कुछ मीठा क्या खोए क्या पाए हम बिसरा दें ...

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